Surface Tension And Viscosity

आइये आज हम पृष्ठ तनाव एवं श्यानता (SURFACE TENSION AND VISCOSITY ) के बारें में अध्ययन करेंगे

पृष्ठ तनाव

द्रव का मुक्त पृष्ठ (Free surface) एक प्रकार से बनी हुई रबड़ की झिल्ली के सदृश व्यवहार करता है। पृष्ठ के इस गुण को पृष्ठ तनाव कहते हैं।

पृष्ठ तनाव का मात्रक

जूल / मीटर2 एवं न्यूटन / मीटर

अन्तराणविक या ससंजक बल (Cohesive Force)

समान अणुओं के मध्य आणविक बल को ससंजक बल कहते हैं। विभिन्न पदार्थों के अणुओं के बीच आणविक बल को आसंजक बल (Adhesive force) कहते हैं। पृष्ठ तनाव मूलत: ससंजक आणविक बल का प्रभाव है। द्रव के सतह पर जो अणु होते हैं उनकी स्थितिज ऊर्जा भीतर के अणुओं की अपेक्षा अधिक होने के कारण ही पृष्ठ क्षेत्रफल में सिकुड़ने की प्रवृत्ति होती है अर्थात् वह उस अवस्था को प्राप्त करना चाहती है जिसमें स्थितिज ऊर्जा न्यूनतम हो।

स्पर्श कोण (Angle of Contact)

जब किसी द्रव का मुक्त पृष्ठ किसी ठोस के सम्पर्क में आता है तो इस स्थान पर पृष्ठ वक्राकार हो जाता है। किसी द्रव के अंदर स्थित ठोस की सतह तथा द्रव के पृष्ठ पर खींची गई स्पर्श रेखा के  बीच के कोण को उस द्रव -ठोस युग्म के लिए स्पर्श कोण कहते हैं।

स्पर्श कोण का मान द्रव व ठोस की प्रकृति पर निर्भर करता है। स्पर्श कोण का मान से 180° के बीच होता है। जो द्रव ठोस को भिगोते हैं उनके लिए स्पर्श कोण 90% से कम तथा जो द्रव ठोस को नहीं भिगोते हैं उनके लिए स्पर्श कोण अधिक कोण (90° से अधिक) होता है। साधारण जल व काँच के लिए इसका मान लगभग तथा पारे व काँच के लिए स्पर्श कोण का मान लगभग 135° होता है। जल और चांदी के लिए स्पर्श कोण का मान 90° होता है। इस कारण चाँदी के बर्तनों में किनारों पर भी जल का तल क्षैतिज रहता है। ताप के बढ़ाने पर स्पर्श कोण का मान घटता है तथा क्रांतिक ताप पर किसी द्रव के पृष्ठ तनाव का मान शून्य होता है।

द्रव के पृष्ठ की आकृति (Shape of a liquid surface)

जब द्रव किसी ठोस के सम्पर्क में आता है तो स्पर्श तल के समीप द्रव का पृष्ठ वक्रीय हो जाता है। यह वक्रता द्रव और ठोस दोनों की प्रकृति पर निर्भर करती है। कुछ द्रव ठोस के साथ अवतल पृष्ठ तथा कुछ उत्तल पृष्ठ बनाते हैं। जब आसंजक बल का मान ससंजक बल के क्षैतिज घटक से अधिक होता है तब द्रव पृष्ठ की आकृति अवतल (Concave) होगी तथा जब ससंजक बल के क्षैतिज घटक का मान आसंजक बल के मान से अधिक होता है तब द्रव पृष्ठ की आकृति उत्तल (convex) होगी।

केशिकात्व (Capilarity)

दोनों सिरों पर खुली बारीक सुराख की नली केशनली कहलाती है। जब किसी केशनली को द्रव में डुबोया जाता है तो द्रव या तो केशनली में चढ़ता है या उतरता है ऐसा पृष्ठ तनाव के कारण होता है। जिन द्रवों का स्पर्श कोण 90° से कम होता है वे काँच की केशनली में ऊपर चढ़ते हैं जैसे पानी का काँच की नली में चढ़ना तथा जिनके लिए स्पर्श कोण 90° से अधिक होता है वे काँच की केशनली में उतरते हैं। जैसे पारे का काँच की नली में गिरना, इस परिघटना को केशिकात्व कहते हैं।

किसी केशनली में द्रव का चढ़ना या उतरना उसकी त्रिज्या के व्युत्क्रमानुपाती होता है। (h x i/r या hr = नियतांक) किसी केशनली में स्थित द्रव के वक्र पृष्ठ को नवचन्द्रक कहते हैं। किसी द्रव के नवचन्द्रक की आकृति द्रव में ससंजक बल था ठोस द्रव के मध्य आसंजक बल के परिणाम पर निर्भर करती है।

केशिकात्व (Capilarity) के कुछ उदाहरण

लालटेन में मिट्टी का तेल तथा मोमबत्ती में पिघला हुआ मोम धागों के बीच बनी केशनलियों के द्वारा ही ऊपर चढ़ता है।

ब्लॉटिंग पेपर को गीली स्याही पर रखने पर स्याही इसके महीन छिद्रों में चढ़ जाती है।

पौधों की पतली जड़ों में बनी केशनलियों द्वारा जल ऊपर चढ़कर पौधों की टहनियों तथा पत्तियों तक पहुँचता है।

स्याही के पेन की निब की नोक बीच से चिरी होती है जिससे बारीक केशिका बन जाती है। जब उसे स्याही में डुबोते हैं तो कुछ स्याही केशनली में चढ़ जाती है।

पानी से भरी बाल्टी में तौलिये का सिरा डुबो देने पर पानी तौलिये के धागों के बीच में बनी असंख्य केशनलियों में चढ़ने लगता है तथा धीरे-धीरे पूरा तौलिया भीग जाता है।

नमी बनाये रखने के लिए किसान बरसात होने के बाद खेत को जोतते हैं जिससे मिट्टी में बनी केशनलियाँ टूट जाती हैं अगर खेत की जुताई न की जाय तो पानी मिट्टी की केशनलियों द्वारा सतह पर आकर वाष्प बनकर उड़ जायेगा।

SURFACE TENSION AND VISCOSITY

तनाव को प्रभावित करने वाले कारक

संदूषण (Contamination) का प्रभाव– द्रव की सतह पर धूल, चिकनाई, ग्रीज आदि हो तो द्रव का पृष्ठ तनाव घट जाता है।

विलेय (Solute) का प्रभाव- यदि विलेय अधिक घुलनशील है तो पृष्ठ तनाव बढ़ जाता है जैसे जल में नमक डालने पर जल का पृष्ठ तनाव बढ़ जाता है। परंतु विलेय कम घुलनशील हों तो पृष्ठ तनाव घटता है।

ताप का प्रभाव- द्रव का ताप बढ़ने पर पृष्ठ तनाव कम होता है। क्रांतिक ताप तथा क्वथनांक ताप पर द्रव का पृष्ठ तनाव शून्य हो जाता है।

अपमार्जक (Detergent) का प्रभाव जब पानी में अपमार्जक (साबुन का घोल, डिटर्जेन्ट पाउडर आदि) मिलाया जाता है तो पानी का पृष्ठ तनाव कम हो जाता है।

पृष्ठ तनाव से संबंधित उदाहरण

गीले ब्रुश के बाल- मुलायम बालों से बनी एक ब्रुश को पानी के अंदर डुबोने पर उसके बाल अलग-अलग होते हैं परंतु पानी से बाहर निकालने पर आपस में चिपक जाते हैं। इसका कारण स्पष्ट है कि बाहर निकालने पर ब्रुश के बालों पर लगा जल का स्वतंत्र पृष्ठ सिकुड़ने की चेष्टा करता है जिससे बाल आपस में चिपक जाते हैं।

द्रव बूँदों की आकृति- अल्प द्रव की बूँद का आकार गोलाकार होता है। इसका कारण द्रव के स्वतंत्र पृष्ठ पर लगने वाला पृष्ठ तनाव बल है जो द्रव के पृष्ठ के क्षेत्रफल को न्यूनतम बनाने का प्रयत्न करता है।

SURFACE TENSION AND VISCOSITY

श्यानता (Viscocity)

प्रत्येक द्रव अथवा तरल प्रवाह के समय आंतरिक घर्षण को अनुभव करते हैं। किसी गतिमान तरल के विविध भागों तथा स्तरों के बीच आंतरिक घर्षण के इस प्रभाव तथा गुण को श्यानता एवं आंतरिक घर्षण बल को श्यान बल कहते हैं ।

आदर्श द्रव (Ideal liquid)

एक आदर्श द्रव वह होता है जिसके लिए आंतरिक घर्षण शून्य होता है, अर्थात् यदि उसे एक बार गति में लाकर छोड़ दें तो वह कभी नहीं रुकेगा। आदर्श द्रव की श्यानता शून्य होती है। आदर्श द्रव असंपीड्य (Incompressible) भी होता है अर्थात् द्रव को दबाने पर उसके आयतन (अथवा घनत्व) में कोई परिवर्तन नहीं होता।

श्यानता पर ताप का प्रभाव

द्रवों की श्यानता ताप के बढ़ने पर घटती है परंतु गैसों की श्यानता ताप बढ़ने पर बढ़ती है ।

श्यानता के अनुप्रयोग

श्यानता गुणांक के मान से अणुभार ज्ञात कर जटिल यौगिकों की संरचना ज्ञात की जा सकती है।

किसी गतिशील वस्तु के वेग में मन्दन पैदा करने व उसके वेग को एक समान करने हेतु श्यानत गुण प्रयुक्त होता है।

मशीनों में डाले जाने वाले स्नेहक तेल चुनते समय श्यानता गुणांक का ध्यान रखना पड़ता है। साइकिल और मोटर में डाले जाने वाले स्नेहक तेल भिन्न होते है।

बरनूली का सिद्धान्त (प्रमेय)

जब कोई असूंपीड्य द्रव (अथवा तरल) एक ऐसे पाइप तथा नली में से प्रवाहित होता है, जिसका अनुप्रस्थ काट सब स्थानों पर समान नहीं है, तो तंग भाग में चौड़े भाग के अपेक्षाकृत प्रवाह वेग अधिक होने के कारण दाब कम होता है।

Surface Tension And Viscosity
Surface Tension And Viscosity
बरनूली का सिद्धान्त (प्रमेय) उदाहरण

पिचकारी से निकलने वाले द्रव का वेग

फ्लिन्ट पम्प की कार्यप्रणाली

वायुयान का वायु-पक्षक

फव्वारे पर टिकी गेंद

आँधी में टिन का उड़ना

क्रिकेट की गेंद का स्विन्ग करना

प्लेटफॉर्म पर खड़े व्यक्ति पर पास गुजरने वाली रेलगाड़ी की ओर लगने वाला बल आदि में बरनूली का नियम लगता है।

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