SHER SHAH SURI IN HINDI शेरशाह सूरी हिंदी में (1540 – 1545 ई.)
SHER SHAH SURI IN HINDI
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शेरशाह सूरी हिंदी में (1540 – 1545 ई.)
शेरशाह का जन्म कब हुआ?
शेरशाह का जन्म 1472 ई. में फिरोजा हिसार में हुआ।’
फरीद खां
फरीद खां शेरशाह सूरी का बचपन का नाम था
सूरवंशीय शेरशाह अपने वंश में सर्वोत्तम शासक माना जाता है।
हसन खां सहसाराम
शेरशाह के पिता, ये सासाराम (बिहार) में जागीरदार थे।
दक्षिण बिहार के शासक बहार खाँ लोहानी ने इन्हें ‘शेर खाँ’ की उपाधि प्रदान की। शेरशाह ने ‘हजरत-ए-आला की उपाधि धारण की।
शेरशाह के विजय अभियान
राज्य | वर्ष | शासक |
मालवा | 1542 | मल्लू खाँ (कादिर खाँ) |
रायसीन | 1543 | पूरनमल |
मारवाड़ | 1544 | मालदेव |
कालिंजर | 1545 | कीरत सिंह |
शेरशाह ने मारवाड़ को छोड़कर अन्य राजपूत राजाओं को राज्य से वंचित नहीं किया।
1545 ई. के कलिंजर आक्रमण के दौरान उक्का नामक प्रक्षेपास्त्र चलाते समय बारूद के ढेर में आग लग जाने से शेरशाह की मृत्यु हो गई।
शेरशाह व उसके पुत्र इस्लाम शाह ने युग के खलीफा की उपाधि धारण की।
चौसा (1539 ई.) तथा बिलग्राम (1540 ई.) के युद्ध जीतने (दोनों हुमायूँ के विरूद्ध) के बाद फरीद (शेर खां) ने ‘शेरशाह ‘ की उपाधि धारण कर दिल्ली का सुल्तान बना ।
शेरशाह ने सूरवंश/द्वितीय अफगान साम्राज्य (1540 ई.) की स्थापना की।
अलीवल खाँ
शेरशाह के काल में सासाराम में बने मकबरों के शिल्पी ।
रायसेन
1543 ई. में शेरशाह द्वारा शासक पूर्णमल पर धोखे से विजय प्राप्त करना नैतिक आधार पर उसके लिये कलंक का कारण बना।
बंगाल में साहबगंज के पास स्थित तेलियागढ़ी को बंगाल की कुंजी कहा जाता था ।
हुमायूँ ने मच्छवाड़ा और सरहिन्द के युद्ध में सिकंदर शाह सूरी को पराजित कर 1555 ई. में दिल्ली पर पुनः मुगल सत्ता स्थापित की।
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शेरशाह की आर्थिक स्थिति, भू-राजस्व, लगान व्यवस्था
शेरशाह की लगान व्यवस्था मुख्य रूप से रैय्यतवाड़ी थी।
लगान के अतिरिक्त किसानों को भू-राजस्व का 2.5 प्रतिशत जरीबाना (सर्वेक्षण शुल्क) एवं 5 प्रतिशत महासिलाना (कर संग्रह शुल्क) नामक कर देने होते थे।
उपज के आधार पर भूमि का तीन भागों में वर्गीकरण किया गया अच्छी, मध्यस्थ एवं खराब।
शेरशाह ने भूमि के नाप के लिए सिकंदरीगज (39 अंगुल या 32 ईंच) एवं सन की रस्सी का जरीब के रूप में प्रयोग किया।
लगान निर्धारण की तीन प्रणालियाँ थीं
1. गल्ला बख्शी अथवा बटाई
2. नश्क, मुक्ताई या कनकूत
3. नकदी, जब्ती या जमई
शेरशाह द्वारा किये गए अन्य कार्य
किसानों में जब्ती या जमाई प्रणाली अधिक लोकप्रिय थी जिसे शेरशाह ने प्रारंभ किया।
शेरशाह ने पद का दुरुपयोग व भ्रष्टाचार रोकने के लिए राजस्व अधिकारियों की प्रतिवर्ष या दो वर्ष बाद स्थानांतरण की प्रथा शुरू की ।
शेरशाह ने भूमि को ‘बीघों’ में विभक्त किया।
उपज का एक-तिहाई भाग भूमिकर निश्चित किया गया।
शेरशाह ने व्यापार, यातायात एवं डाक सुविधा की दृष्टि से अनेक सरायों एवं सड़कों का निर्माण कराया।
शेरशाह का साम्राज्य छियासठ (66)सरकारों में विभक्त था
शेरशाह का सर्वाधिक योगदान भूराजस्व के क्षेत्र में था ।
पट्टा व कबूलियत : शेरशाह द्वारा प्रारंभ |
शेरशाह ने सुल्तान-उल-अदत की उपाधि धारण की।
चोर लुटेरों को न पकड़ पाने की स्थिति में ग्राम मुखिया या अधिकारियों को चोरी की गई वस्तु की क्षतिपूर्ति करनी पड़ती थी ।
शेरशाह ने दान-ए-लंगर (भोजनशाला) की स्थापना कराई।
शेरशाह ने अलाउद्दीन खिलजी की भाँति हुलिया नोट करने व घोड़े दागने की प्रथा फिर से शुरू की।
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