आइये आज हम राठौड़ वंश (Rathore Of Jodhpur) के बारे में अध्ययन करेंगे
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राव सीहा (1240-1273 ई.)
मारवाड़ में जोधपुर, बीकानेर, बाड़मेर, जालौर, नागौर एवं पाली जिले में आते हैं मारवाड़ के राठौड़ वंश की स्थापना राव सीहा ने 13 शताब्दी में की व साम्राज्य का विस्तार किया।
राठौड़ों का मूल पुरुष सीहा था, उसने पाली के आसपास राठौड़ वंश की स्थापना की।
राजस्थान के पाली जिले के बीठू गांव के ‘देवल अभिलेख’ के अनुसार राव सीहा कुंवर सेतराम का पुत्र था और उसकी सोलंकी वंश की पार्वती नामक रानी थी।
जोधपुर के राठौड़ों को कन्नोज के राजा जयचंद के वंशज माना जाता है।
नैणसी मारवाड़ के राठोड़ों को कन्नोज से आने वाली शाखा मानते हैं
जबकि कर्नल टॉड के अनुसार ये सूर्यवंशी हैं।
प्रारम्भ में राठौड़ दक्षिण में सक्तिशाली थे। मध्य भारत में इसके अभ्युदय का उल्लेख 7वी शताब्दी से मिलता है।
जोधपुर के राठौड़ो के बारे में कर्नल टॉड सहित अधिकांश विद्वानों के मतानुसार वे कन्नोज के राजा जयचंद के वंशज थे।
राव सीहा की मृत्यु
राव सीहा की मृत्यु 1273 ई. में तब हुई जब वह मुसलमानों के विरुद्ध पाली प्रदेश की रक्षा कर रहा था।
आसनाथ (1273-1291 ई.)
राव सीहा के पुत्र आसनाथ ने मूंदोच गांव में अपनी शक्ति का संगठन किया।
राव सीहा के बाद उसके पुत्र आसनाथ ने राठौड़ों को नेतृत्व प्रदान किया। आसनाथ जलालुद्दीन खिलजी की सेनाओं से पाली प्रदेश की रक्षा करते हुए 1291 ई. में 140 साथियों सहित मारा गया।
आसथान के उत्तराधिकारी क्रमश: धूहड़, रायपाल, कर्णपाल, जालणसी, छाड़ा, तीड़ा, भाल्लिनाथ, और राव चूड़ा प्रमुख शासक हुऐ।
Rathore Of Jodhpur
धूहड़
राव आसथान के बाद उसके उत्तराधिकारियों का समय क्रम सही-सही पता नहीं चलता,
परन्तु इतना अवश्य है कि 13वीं और 14वीं शताब्दियों तक सतत् प्रयत्न के फलस्वरूप वे अपने मारवाड़ राज्य का विस्तार करते रहे।
राय आसथान के बड़े पुत्र धूहड़ ने आस-पास के शत्रुओं से 150 गाँवों को छीनकर अपने राज्य की वृद्धि की ।
कुछ समय के लिए वह मण्डोर पर भी, परिहारों को परास्त कर, अधिकार स्थापित करने में सफल हुआ था । प्रतिहारों से युद्ध करते हुए 1309 ई. में धूहड़ की मृत्यु हो गई
रायपाल
धूहड़ के बड़े पुत्र रायपाल ने फिर से मण्डोर पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया, परन्तु कुछ समय के बाद मण्डोर उसके हाथ से निकल गया ।
रायपाल ने मलानी के भू-भाग पर अधिकार स्थापित कर तथा भाटियों को दबाकर उसने अपनी शक्ति बढ़ा ली थी । परन्तु भाटी इस स्थिति से नाराज होकर तुर्कों से जा मिले,
राव कर्णपाल
जब राव कर्णपाल ने भाटियों को इसका दण्ड देने का बीड़ा उठाया तो भाटियों तथा तुर्कों की संयुक्त शक्ति ने उसे मौत के घाट उतार दिया
राव कर्णपाल के पुत्र भीम ने अपने राज्य की सीमा काक नदी तक विस्तारित कर अपने पिता की भाँति, भाटियों के विरुद्ध लड़ते हुए मृत्यु हो गई
राव जालणसी
राव जालणसी ने, जो राव कर्णपाल का दूसरा पुत्र था, उमरकोट के सोढ़े राजपूतों को परास्त कर, मुल्तान के यवनों को दण्डित कर और भीनमाल के सोलंकियों को अपमानित कर ख्याति प्राप्त की।
परन्तु राव कर्णपाल की भाँति ही राव जालणसी को भाटी और तुर्कों की संयुक्त मोर्चा ने हरा दिया और भाटी और तुर्कों की संयुक्त सेना से मुकाबला करते हुए लगभग 1328 ई. में राव जालणसी वीरगति को प्राप्त हुआ।
छाड़ा
राव जालणसी का बड़ा पुत्र छाड़ा बहुत बड़ा वीर था।
छाड़ा ने अपने वंश के शत्रुओं पर युद्ध में विजय प्राप्त करना आरम्भ कर दिया उसने उमरकोट के सोढ़ों को हराया, जैसलमेर के राव को परास्त किया एवं विवाहिक सम्बन्ध स्थापित किया
छाड़ा ने जालौर व नागौर के तुर्की अधिकारीयों को अपने दबाव में रखा एवं उसने पाली, सोजत, भीनमाल, जालौर, पर चढ़ाई कर इन प्रदेशों को लुटा और शत्रुयों को दबाया
छाड़ा को सोनगरे और देवड़ा चौहानों ने जालौर प्रान्त के रामा नामक गाँव में उसे अचानक जा घेरा। इसी हमले में शत्रुओं का मुकाबला करते हुए 1344 ई. में उसकी मृत्यु हो गयी
तीड़ा
राव छाड़ा के ज्येष्ठ पुत्र तीड़ा ने पिता की मृत्यु का बदला सोनगरे चौहानों को परास्त कर लिया ।
राव तीड़ा भीनमाल पर अपना अधिकार स्थापित करने में सफल हुआ।
राव तीड़ा ने देवणों, भाटियों, बालेचा चौहानों और सोलंकियों को भी खूब छकाया और उनसे राशी वसूली के रूप में अर्थ दण्ड देने के लिए बाध्य किया ।
राव तीड़ा को जब पता चला की सिवाने को तुर्की फौजों ने घेर लिया है तो वह उसकी रक्षा करने के लिए वहाँ पहुँचा। यहाँ तुर्की सेना से लड़ते हुए राव तीड़ा की मृत्यु हो गयी
भल्लिनाथ
तीड़ा के एक उत्तराधिकारी भल्लिनाथ ने तुर्कों से महेवा छीना और उस पर फिर राठौड़ों का अधिकार स्थापित हो गया।
भल्लिनाथ ने अपनी शक्ति इतनी बढ़ा ली थी कि वह सिन्ध और मालवा के शासकों के विरुद्ध अपने राज्य की सीमा को बनाये रखने में सफल हुआ।
भल्लिनाथ ने अपने वैभव और शक्ति के आधार पर रावल की पदवी को धारण कर अपने वंश के गौरव को परिवर्द्धित किया
राव चूंडा
राठौड़ो का प्रथम बड़ा शासकराव चूंडा हुआ, अधिक जानकारी के लिए यहाँ पर क्लिक करें – राव चूंडा
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