RAJSTHAN KI LOK DEVIYAN
Table of Contents
करणी माता
- जन्म- स्थान सुआप जोधपुर
- इनका जन्म एक चारण परिवार में हुआ था इसे चरण जाती की कुल देवी कहा जाता है
- मुख्य मंदिर- देशनोक (बीकानेर) में है – इसे चुहों का मंदिर कहा जाता है।
- चूहों को ‘काबा/काबे कहते है।
- इस मंदिर में सफेद चुहे का दर्शन होना शुभ माना जाता है
- देशनोक में नेहड़ जी का मंदिर भी हैं। जहाँ करणी माता स्वयं रहती थी
- करणी माता तेमडेराय माता जी पूजा करती थी अत: देशनोक में मडेराय माता जी का मंदिर भी है
- करणी माता को दाड़ी वाली डोकरी कहा जाता है
- करणी माता का प्रतीक चील (संवली) है
जीण माता
- मंदिर – रैवासा (सीकर
- चौहान राजा पृथ्वीराज प्रथम के शासन काल मे हटड़ मोहिल ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था
- जीण माता चौहानों की ईष्ट देवी है।
- इस मंदिर के पास जीन माता के भाई हर्ष का मंदिर बना
- हुआ है जिसका निर्माण चौहान राजा गुवक ने करवाया था।
- जीण माता का लोक गीत सबसे लम्बा है।
- जीणमाता को मधुमक्खीयों की देवी भी कहा जाता
- औरंगजेब ने इस मंदिर में छत्र चढ़ाया था।
- मंदिर का घी केन्द्र सरकार द्वारा भेजा जाता है।
- RAJSTHAN KI LOK DEVIYAN
सकराय माता
- उदयपुर वाटी- झुन्झुनु
- अन्य – शाकम्भरी माता
- अन्य मंदिर
- सहारनपुर (UP)
- सांभार (जयपुर)
- खण्डेलवालों को कुल देवी
आशापुरा माता
- मंदिर नाडौल (पाली)
- मोदरा (जालौर)
- चौहान तथा किस्सा ब्रहमणों की कुल देवी हैं।
- इनकी पूजा करते समय महिलाएं घुंघट रखती है।
- तथा हाथों में महंदी नही लगाती है
तन्नौट माता
- मंदिर- तन्नौट (जैसलमेर)
- तन्नौट माता को थार की वैष्णों देवी भी कहा जाता है।
- BSP के सैनिक इनकी पूजा करते हैं।
- इन्हें रूमाल की देवी’ कहा जाता है।
स्वांगिया माता (सुगन चिडी)
- मंदिर-भादरिया (जैसलमेर)
- जैसलमेर के भाटी राजवंशों की कुल देवी
- स्वांग-भाला
- प्रतीक- सुगन चिडी
- स्वांग का शाब्दिक अर्थ होता है भाला
- भादरिया में भूमिगत पुस्तकालय बना हुआ
आवड माता
- मंदिर – जैसलमेर
- जैसलमेर के भाटी राजवंश की ईष्ट देवी
आई माता
- मंदिर-बिलाडा (जौधपुर)
- सिरवी समाज की कुल देवी
- यह रामदेव की अनुयायी भी (शिष्या)
- इन्होंने सामाजिक भेदभाव कम करने तथा हिन्दु मुस्लिम एकता बढ़ाने का प्रयास किया था।
- इनके मुख्य मंदिर को बडेर कहा जाता है तथा अन्य मंदिरों को दरगाह कहा जाता है
- इनके मंदिर में दीपक की ज्योति से केसर टपकती है
- RAJSTHAN KI LOK DEVIYAN
सच्चियाय माता
- मुख्य मंदिर-ओसियां (जोधपुर)
- ओसवालों की कुल देवी
लटियाल माता
- मंदिर – फलौदी (जोधपुर)
- कला ब्रहामणों की कुल देवी
- अन्य नाम खेजड़ बेरी राय भवानी
चामुंडा माता
- मंदिर- मेहरानगढ़ (जोधपुर) जोधा ने बनवाया
- मेहरानगढ़ दुखान्तिका जांच कमेटी/आयोग 30 सितम्बर 2008 जसराज चौपडा
सुंधा माता
- सुधा माता मंदिर- दातड़ावास गाँव (भीनमाल)जालौर
- देवी की मूर्ति आधी होने के कारण इसे अर्द्वेश्वरी कहा जाता है। देवी को चामुण्डा का रूप माना जाता है।
- मंदिर के पास ही राबड़ानाथ का धुणा स्थित है। इसी धूणे के निकट नागिन तीर्थ” स्थित है।
- सोनगरा चौहान के प्रारम्भिक शासक इसे अपनी इष्ट देवी मानते हैं।
- देवी के मंदिर के पास ही एक लिंगेश्वेर महादेव का मंदिर स्थित है। जिसे “हरिया महादेव” भी कहा जाता है।
- देवी का मेला वर्ष में दो बार आयोजित होता है फाल्गुन मास व चैत्रमास
- यहा पर भालु अभ्यारण भी स्थित है। (सुंधा माता भालु अभ्यारण्य)
- देवी का मंदिर पहाड़ियो के मध्य स्थित होने के कारण राजस्थान का प्रथम रोप-वे 2006 में लगाया गया।
- RAJSTHAN KI LOK DEVIYAN
दधीमती माता
- मंदिर गोठ मांगलोद (नागौर)
- दाधीच ब्रहामणों की कुल देवी
- दधीमाता,भवाल माता, कैपाय माता नागौर
कैवाय माता
- मंदिर- किणसरिया (नागौर)
- दहिया राजपूतों की कुल देवी
- चरत्र नामक दहिया सामन्त ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था
भवाल माता
- मंदिर – भवाल (नागौर)
- इनके मंदिर मे 2½ प्याले गराब चढ़ाई जाती हैं।
आवरी माता
- मंदिर-निकुंभ (चितौड़)
- यहां पर लकवा ग्रस्त भक्तियों का ईलाज किया जाता है।
बडली माता
- मंदिर – आकोला (चितौड)
- यहाँ पर छोटे बच्चों का इलाज किया जाता है।
महामाया माता
- मंदिर- मावली (उदयपुर)
- छोटे बच्चों का ईलाज किया जाता है
अम्बिका माता
- मंदिर – जगत् (गाँव) (उदयपुर)
- इसे मेवाड़ का खजुराहों कहा जाता है (खजुराहों हो मध्यप्रदेश में स्थित है)
- खजुराहों के मंदिर चन्देल वंश के राजाओं ने बनवाएं
त्रिपुर सुंदरी
- मंदिर – तलवाडा (बांसवाडा)
- लोहार समाज के लोग इनकी पूजा करते हैं।
- अन्य नाम तुरताई माता
आमजा माता
- मंदिर – रिछडा (राजसमन्द)
- भील जनजाति के लोग इनकी पूजा करते हैं।
कैला देवी
- मंदिर-त्रिकुट पहाडी (करौली)
- करौली के जादौन राजवंश की कुल देवी
- मेला- चैत्र शुक्ल अष्टमी (वर्ष में एक बार)
- इन्हें हनुमान जी की माता तथा भगवान श्री कृष्ण की बहन माना जाता हैं।
- इनके भक्तों को के द्वारा लांगुरिया गीत गाये जाते है
- इस मंदिर के सामने बोहरा भक्त की छतरी स्थित हैं जहाँ छोटे बच्चों का ईलाज किया जाता है
शीतला माता
- मंदिर-चाकसू (जयपुर)
- एकमात्र देवी जिनकी खण्डित मूर्ति की पूजा की जाती है।
- यह चेचक रक्षक देवी है।
- महिलाएं संतान प्राप्ती के लिए पूजा करती है।
- कुम्हार जाती के लोग इनकी पूजा करतें हैं
- वाहन/सवारी- गधा
ब्राह्मणी माता
- मंदिर-सोरसन (बांरा)
- एकमात्र देवी जिसकी पीठ की पूजा की जाती हैं।
- मेला – माह शुक्ल सप्तमी (गधों का मेला)
छींक माता
- मंदिर- जयपुर (गोपाल जी का रास्ता हिता
- माघ शुक्ल सप्तमी
- मेला
ब्राह्माणी माता
- मंदिर – पल्लू हनुमानगढ़
- ब्राह्माणी माता मंदिर में कालिका माता की मूर्ति भी है।
हर्षद माता
- मंदिर – आभानेरी (जैसा)
- पहले यह विष्णु भगवान का मंदिर(चाँद बावडी = आभानेरी दौसा)
ज्वाला माता
- मंदिर- जोबनेर (जयपुर)
- कछवाह वंश की खांगारोत शाखा की ईष्ट देवी है
राजेश्वरी माता
- मंदिर-भरतपुर
- भरतपुर के जाट राजवंश की कुल देवी
कंठेसरी माता
- आदिवासियों की कुल देवी
क्षेमकरी माता
- भीनमाल (जालौर)
मकरकंडी माता
- निभान(पाली)
जिलाडी माता
- बहरोड(अलवर)
धौलागढ़ देवी
- अलवर
अर्बुद माता / अधर देवी
- मांउट आबू
घेवर माता
- राजसमंद
नारायणी माता
- मंदिर:- अलवर सती माता
- यह नाईयों की कुल देवी है ।
- मीणा समाज के लोग इनकी पूजा करते हैं।
रानी सती
- मंदिर – झुन्झुनु
- मेला – भाद्रपद अमावस्या
- वास्तविक नाम:- नारायणी माता
- पति – तन धन दास अग्रवाल
- अन्य नाम -दादी सती
माता रानी भटियाणी
- मंदिर जसोल (बाइमेर)
- मेला – भाद्रपद शुक्ल त्रयोदशी