Jhalawar State

Jhalawar State झालावाड़ राज्य

झालावाड़– झालावाड़ राज्य पहले कोटा रियासत का ही भाग था। यहाँ राजपूतों की झालाखाँप के राजा होते थे। ये अपने आपको चन्द्रवंशी मानते थे। झालावाड़ का वर्तमान राज्य सन् 1838 ई. में स्थापित हुआ था। झालरापाटन इसकी राजघानी थी। यह शहर हरियाली से परिपूर्ण है।

राजराणा मदनसिंह झाला

महाराव उम्मेदसिंह एवं जालिमसिंह झाला के पौत्रों महाराव रामसिंह एवं झाला मदनसिंह के संबंध बिगड़ गए। झाला के वंशजों की निरंतर अंग्रेजों का समर्थन मिला, अंततः 1837 ई. में कोटा का विभाजन हुआ और झाला के उत्तराधिकारियों के लिए एक स्वतंत्र राज्य झालावाड़ की स्थापना हुई।

झालावाड़ राज्यस्थान में अंग्रेजों द्वारा बनायी गई अंतिम रियासत (राज्य) थी, और  इसकी राजधानी झालरापाटन बनाई गई।

Jhalawar State झालावाड़ राज्य

मांगरोल का युद्ध (1821 ई.)

कोटा महाराव किशोरसिंह और कोटा के फौजदार झाला जालिमसिंह के मध्य प्रशासनिक अधिकारों को लेकर तनाव उत्पन्न हो गया। अंग्रेजों द्वारा 20 फरवरी, 1818 ई. को कोटा के साथ की गई गुप्त संधि के अनुसार राज्य के प्रशासनिक अधिकारों का प्रयोग झाला जालिमसिंह एवं उसके वंशज करेंगे तथा महाराव उम्मेदसिंह एवं उनके वंशज राज्य के शासक बने रहेंगे। महाराव किशोरसिंह इस संधि को रद्द कर सत्ता हाथ में लेकर शासन करना चाहते थे, जबकि जालिमसिंह अपने अधिकार छोड़ने को तैयार नहीं था। अतः अक्टूबर, 1821 में महाराव किशोरसिंह और झाला जालिमसिंह के बीच बारां के पास मांगरोल नामक स्थान पर युद्ध हुआ। युद्ध के बाद मेवाड़ महाराणा भीमसिंह की मध्यस्थता से किशोरसिंह एवं जालिमसिंह के मध्य 22 नवम्बर, 1821 को एक समझौता हो गया। समझौते के अनुसार महाराव के निजी कार्यों में झाला जालिमसिंह हस्तक्षेप नहीं करेगा और झाला के राजकाज में महाराव का दखल नहीं होगा। इस युद्ध के परिणामस्वरूप कोटा महाराव की शक्तिहीनता जाहिर हो गई। प्रत्यक्ष रूप से जालिमसिंह प्रशासन का सर्वेसर्वा हो गया।

Jhalawar State

Jhalawar State
Jhalawar State

Read More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *