Heat (ऊष्मा)

आइये आज हम ऊष्मा(Heat) के बारें में अध्ययन करेंगे

ऊष्मा तथा ऊष्मा का मात्रक

ऊष्मा एक प्रकार की ऊर्जा है। जब किसी वस्तु को गर्म करते हैं तब वह ऊष्मा ग्रहण करती है। वस्तु जब ठण्डी होती है तब वह ऊष्मा का परित्याग करती है। ऊष्मा का मात्रक किलोकैलोरी है।

1 किलोग्राम द्रव (पानी) के ताप को 1°C बढ़ाने के लिये (जैसे) 14.5°C से 15.5°C तक आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को एक किलो कैलोरी कहते हैं।

(4.18 किलो जूल = 1 किलो कैलोरी कहते हैं)

ऊष्मा(Heat) के अन्य मात्रक

1 ग्राम पानी का ताप 1°C बढ़ाने के लिए जितनी ऊष्मा की आवश्यकता होती है, ऊष्मा की उस मात्रा को 1 कैलोरी कहते हैं।

(4.18 जूल = 1 कैलोरी कहते हैं)

1 किलोकैलोरी = 1000 कैलोरी

ऊष्मा(Heat) सदैव उच्च ताप की ओर से निम्न ताप की ओर प्रवाहित होती है। ऊष्मा एवं ताप दोनों अलग अलग भौतिक राशि हैं। ताप मापने की इकाई डिग्री सेल्सियस, फारेनहाइट, केल्विन इत्यादि हैं।

तापमापी एवं विभिन्न ताप पैमानों में सम्बन्ध

तापमापी कांच की केशिका नली होती है जिसके अन्दर का व्यास समान होता है। इसके नीचे एक घुण्डी होती है जिसमें पारा भरा रहता है। इसके निम्न एवं उच्च बिन्दु के बीच का भाग बराबर भागों में बंटा होता है। द्रव की ताप वृद्धि होने पर यह प्रसारित होता है इस सिद्धान्त पर तापमापी कार्य करता है। तापमापी का निम्न बिन्दु बर्फ का गलनांक होता  है जबकि उच्च बिन्दु पानी का क्वथनांक होता है।

सेल्सियस पैमाना

वैज्ञानिक सेल्सियस ने अपने पैमाने में निम्न बिन्दु 0°C तथा उच्च बिन्दु को 100°C चिन्हांकित किया तथा प्रत्येक भाग को 1°C कहा गया।

फारेनहाइट पैमाना

वैज्ञानिक फारेनहाइट ने अपने पैमाने में निम्न बिन्दु 32°F तथा उच्च बिन्दु 212°F पर अंकित किया। इनके बीच के अन्तराल को 180 भागों में विभाजित किया प्रत्येक भाग 1°F कहलाता है।

केल्विन पैमाना

इस पैमाने में निम्न विन्दु 273K तथा उच्च बिन्दु 373K होता है। केल्विन में व्यक्त ताप को परम ताप कहते है।

निम्न सूत्र द्वारा विभिन्न ताप के पैमाने में सबंध ज्ञात किया जा सकता है-

C/5 = F-32/9 = R/4

ऊष्मीय प्रसार

पदार्थों को गर्म करने पर उनके आयतन में वृद्धि को ऊष्मीय प्रसार (तापीय प्रसार ) कहते हैं।

पदार्थ के घनत्व पर ताप वृद्धि का प्रभाव

ताप में वृद्धि होने पर द्रवों का घनत्व घटता है।

पानी का असंगत प्रसार

प्राय सभी द्रवों में ताप वृद्धि के साथ आयतन वृद्धि देखने को मिलती है किन्तु पानी में इसके विपरीत स्थिति उत्पन्न होती है।

पानी का ताप 0°c से 4°c तक बढ़ने पर पानी का घनत्व बढ़ता है तथा आयतन घटता है तथा 4°C से 100°C तक ताप बढ़ने पर आयतन बढ़ता है व घनत्व घटता है। 4°C पर आयतन न्यूनतम होने के कारण पानी का घनत्व अधिकतम रहता है। इस प्रकार पानी का 0°C से 4°C तक असमान संकुचन तथा 4°C से अधिक ताप पर असमान प्रसार पानी का असंगत प्रसार कहलाता है।

पानी का असंगत प्रसार के प्रभाव 

ठंडे प्रदेशों में तालाब का पानी जम जाने पर भी पानी में जीवों का जीवित रहना।

सर्दियों में पानी से भरे पाइपों का फटना।

Heat

Heat
Heat

एक समान ताप वृद्धि करने पर द्रवों की तुलना में गैस अधिक प्रसारित होती है जबकि ठोस सबसे कम प्रसारित होते हैं।

ऊष्मा(Heat) का मापन

वस्तु जब ऊष्मा ग्रहण करती है तब उसका ताप बढ़ जाता है तथा जब वस्तु ऊष्मा का परित्याग करती है तब उसका ताप घटता है किसी वस्तु द्वारा ग्रहण की गई ऊष्मा वस्तु के द्रव्यमान, वस्तु के ताप में वृद्धि तथा वस्तु के पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करती है।

विशिष्ट ऊष्मा

1 किलोग्राम पदार्थ का ताप 1°C बढ़ाने के लिये आवश्यक ऊष्मा की मात्रा ही पदार्थ की विशिष्ट ऊष्मा कहलाती है। विशिष्ट ऊष्मा का मान पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करता है। वि.ऊ. का मात्रक किलो जूल / किलोग्राम / °C या किलोकैलोरी / किलोग्राम / °C

पदार्थ की अवस्था परिवर्तन द्रव्य की तीन भौतिक अवस्थायें होती हैं- ठोस, द्रव, गैस

जब ठोस को ऊष्मा दी जाती है तो वह द्रव अवस्था में बदल जाता है तथा द्रव को ऊष्मा देने पर वह गैस या वाष्प में बदल जाता है।

इसी प्रकार प्रत्येक पदार्थ ठोस, द्रव और गैस तीनों ही अवस्थाओं में उपलब्ध होता है एवं एक अवस्था से दूसरी अवस्था में परिवर्तित किया जा सकता है।

गुप्त ऊष्मा

प्रायः ऊष्मा(Heat) ऊर्जा के आदान-प्रदान से ताप में परिवर्तन होता है परन्तु गलन एवं क्वथन में ऊष्मा(Heat) ऊर्जा प्रदान करने पर भी ताप में परिवर्तन नहीं होता। किसी भी पदार्थ के गलन तथा क्वथन के लिए आवश्यक ऊर्जा को गुप्त ऊष्मा कहते हैं।

गलनांक

जिस निश्चित ताप पर ठोस ऊष्मा ग्रहण कर पिघलने लगता है उस ताप को गलनांक कहते हैं। जैसे बर्फ का गलनांक 0°C है।

हिमांक

द्रव जिस निश्चित ताप पर ऊष्मा का परित्याग कर जमता है उस ताप को हिमांक कहते हैं। हिमांक तथा गलनांक मानक दाब पर एक ही ताप है।

क्वथनांक

जिस निश्चित ताप पर द्रव गरम करने पर उबलता है एवं वाष्प में परिवर्तित होता है उस ताप को क्वथनांक कहते हैं। जैसे पानी का मानक दाब पर क्वथनांक 100°C है।

संघनन

गैसीय पदार्थों का द्रव पदार्थों में बदलना संघनन कहलाता है, जैसे भाप के ठंडा होने पर पानी का बनना।

वाष्पन

द्रव पदार्थों का गैसीय पदार्थों में बदलनावाष्पन कहलाता है।

ऊर्ध्वपातन

कुछ ठोस पदार्थों को गर्म करने पर वे सीधे ही गैसीय पदार्थों में बदल जाते हैं तथा वापस ठण्डा करने पर सीधे ही ठोस में बदल जाते हैं। पदार्थों का यह गुण ऊर्ध्वपातन कहलाता है। जैसे कपूर, आयोडीन, नेप्थलीन, नौसादर आदि।

गलन की गुप्त ऊष्मा

एक किलोग्राम किसी ठोस पदार्थ को (उसके गलनांक पर) बिना ताप में परिवर्तन के द्रव अवस्था में परिवर्तित करने के लिए आवश्यक ऊष्मा(Heat) (किलोकैलोरी) को ठोस की गलन की गुप्त ऊष्मा कहते हैं।

इसी प्रकार एक किलोग्राम द्रव पदार्थ को बिना ताप में परिवर्तन किए ठोस अवस्था में परिवर्तित करने के लिए परित्याग की गई ऊष्मा द्रव के जमने की गुप्त ऊष्मा कहलाती है। किसी पदार्थ के गलन की गुप्त ऊष्मा तथा जमने की गुप्त ऊष्मा(Heat) बराबर होती है।

वाष्पन की गुप्त ऊष्मा

एक किलोग्राम द्रव को (क्वथनांक पर) बिना ताप परिवर्तन के वाष्प में परिवर्तित करने के लिए आवश्यक ऊष्मा वाष्पन की गुप्त ऊष्मा कहलाती है। इसका मात्रक किलोकैलोरी / किलोग्राम या किलोजूल / किलोग्राम है। 1 किलोग्राम पानी को क्वथनांक पर वाष्प में परिणित करने के लिए 540 किलोकैलोरी (2260 किलो जूल) ऊष्मा की आवश्यकता होती है।

वाष्पीकरण के अनुप्रयोग

गर्मी के दिनों में पानी का मिट्टी के घड़े में ठंडा होना

स्नान करने के बाद ठण्डक महसूस होना

हथेली पर ईथर रखने पर ठण्डक अनुभव होना आदि

गलनांक पर दाब का प्रभाव

जिन पदार्थों के पिघलने पर आयतन में वृद्धि होती है उनका गलनांक दाब बढ़ाने से अधिक हो जाता है। कुछ ऐसे पदार्थ (जैसे बर्फ, बिस्मथ) जिनका गलनांक दाब बढ़ाने से कम हो जाता है उनका पिघलने पर आयतन कम होता है।

पुनर्हिमायन

अधिक दाब के प्रभाव से बर्फ के पिघलने तथा दाब को मुक्त करने पर पुनः पानी का हिम में परिवर्तित होने के प्रभाव को पुनर्हिमायन कहते हैं बर्फ पर स्केटिंग पुनर्हिमायन का उदाहरण है।

क्वथनांक पर दाब का प्रभाव

द्रव के मुक्त पृष्ठ पर दाब कम होने पर अपेक्षाकृत कम ताप पर पानी उबलने लगता है अर्थात् क्वथनांक कम हो जाता है। उदाहरण स्वरूप ऊँचे पहाड़ों की चोटी पर दाल  पकाने में कठिनाई अनुभव होती है।

आर्द्रता

वायु में नमी को आर्द्रता कहते हैं आर्द्रता को दो प्रकार से परिभाषित करते हैं  

निरपेक्ष आर्द्रता

किसी निश्चित ताप पर वायु के एक घनमीटर आयतन में उपस्थित जल वाष्प की मात्रा को निरपेक्ष आर्द्रता कहते हैं। इसे किलोग्राम / घनमीटर में मापते हैं।

आपेक्षिक आर्द्रता

निश्चित ताप पर वायु के एक निश्चित आयतन में उपस्थित जल वाष्प की मात्रा और उसी ताप पर उतनी ही वायु को संतृप्त करने के लिए आवश्यक जल वाष्प (भाप) की मात्रा के अनुपात को Relative Humidity (आपेक्षिक आर्द्रता) कहते हैं।

आपेक्षिक आर्द्रता का दैनिक जीवन में महत्त्व

वायु में उपस्थित आर्द्रता के कारण हमें गीलापन एवं शुष्कता अनुभव होती है। जब जब आर्द्रता बहुत अधिक (80% या अधिक) होती है, तब पसीना नहीं सूखता है तथा बेचैनी महसूस होती है। गीले कपड़े जल्दी नहीं सूखते। परन्तु जब आर्द्रता बहुत कम (20% या कम) हो तो हमें शुष्कता अनुभव होती हैं। जब आपेक्षिक आर्द्रता 50% या इसके आसपास होती है तब हमें आराम का अनुभव होता है।

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