GENERAL INTRODUCTION OF RAJASTHAN

GENERAL INTRODUCTION OF RAJASTHAN

GENERAL INTRODUCTION OF RAJASTHAN राजस्थान का सामान्य परिचय

Table of Contents

भारत देश का सबसे बड़ा राज्य

राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत देश का सबसे बड़ा राज्य है। 1 नवम्बर 2000 को मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ का गठन हुआ और उसी दिन से राजस्थान  भारत देश का सबसे बड़ा राज्य बना।

राजस्थान का क्षेत्रफल

राजस्थान का क्षेत्रीय विस्तार 3,42,239.74 वर्ग कि.मी. में है। अतः यह भारत का क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा राज्य, जो देश के कुल क्षेत्र का 10.41 प्रतिशत है।

क्षेत्रफल की दृष्टि से यह विश्व के अनेक देशों से बड़ा है। यहाँ तक कि इजराइल से 17 गुना, श्रीलंका से पाँच गुना, इंग्लैण्ड से दुगना तथा नार्वे, पोलैण्ड, इटली में भी अधिक क्षेत्रीय विस्तार रखता है।

राज्य की उत्तर से दक्षिण तक लम्बाई 826 कि.मी. तथा पूर्व पश्चिम चौड़ाई 869 कि.मी. है। राज्य की सम्पूर्ण सीमा लगभग 5920 कि.मी. लम्बी है।

GENERAL INTRODUCTION OF RAJASTHAN

प्राचीन काल में राजस्थान प्रदेश के नाम

राजस्थान प्रदेश का विशाल क्षेत्र भिन्न-भिन्न इकाइयों में विभक्त रहा है। प्राचीन काल में भी यहाँ के विभिन्न क्षेत्रों को अलग-अलग नामों से पुकारा जाता रहा है।

योद्धेय

प्राचीन राजस्थान में गंगानगर के निकट के प्रदेश को योद्धेय,

कुरु

अलवर के समीपवर्ती प्रदेश को कुरु,

शौरसेन

भरतपुर, करौली, धौलपुर क्षेत्र को शौरसेन,

हयहय

कोटा-बूंदी क्षेत्र को हयहय,

विराट

जयपुर टोंक के क्षेत्र को विराट,

अहिच्छत्रपुर

नागौर के चारों ओर का प्रदेश अहिच्छत्रपुर,

गुर्जर प्रदेश

जोधपुर-पाली क्षेत्र गुर्जर प्रदेश,

GENERAL INTRODUCTION OF RAJASTHAN

जांगल

बीकानेर क्षेत्र जांगल,

श्रीमाल (बाद में भीनमाल)

बाड़मेर क्षेत्र श्रीमाल (बाद में भीनमाल) बाड़मेर,

वल्ल और ढुंगल

जैसलमेर क्षेत्र वल्ल और ढुंगल,

स्वर्णगिरि

जालौर को स्वर्णगिरि,

चन्द्रावती

सिरोही-आबू क्षेत्र को चन्द्रावती,

शिवि

उदयपुर- चित्तौड़गढ़ क्षेत्र शिवि,

बागड़

डूंगरपुर बाँसवाड़ा क्षेत्र बागड़

GENERAL INTRODUCTION OF RAJASTHAN

विभिन्न भौगोलिक विशेषताओं के आधार पर भी राजस्थान के भिन्न भिन्न क्षेत्रों के नाम थे।

कांठल

माही नदी के क्षेत्र को ‘कांठल’ कहा जाता था।

छप्पनका मैदान

प्रतापगढ़ एवं बाँसवाड़ा के मध्य के 56 ग्राम समूह को ‘छप्पन’ का मैदान कहा जाने लगा।

मेवलऔर देवालिया

डूंगरपुर बाँसवाड़ा के बीच के भाग को ‘मेवल’ और ‘देवालिया’ कहा जाता था।

उपरमाल का पठार

भैंसरोडगढ़ से बिजौलिया के पठारी भाग को ‘उपरमाल का पठार’ कहते हैं।

ढूंढाड़

जयपुर के आसपास के ढूँढ नदी के प्रवाह क्षेत्र को ‘ढूंढाड़’ कहते हैं।

थली

चूरू सरदार शहर क्षेत्र को ‘थली’ कहा जाता था।

प्रचलित बोलियों के आधार पर भी राज्य के कतिपय क्षेत्रों का नामकरण हुआ है,

हाड़ौतीक्षेत्र

जिसमें स्थानीय तत्कालीन राजा के गोत्र को भी समाहित किया गया। जैसे कोटा, बूँदी, बारां, हाड़ौती बोली तथा हाड़ा शासकों के आधार पर ‘हाड़ौती’ क्षेत्र,

शेखावाटीक्षेत्र

झुन्झुनूँ-पिलानी, सीकर की शेखावाटी बोली तथा शेखावातों के कारण ‘शेखावाटी’ क्षेत्र कहा जाता है।

GENERAL INTRODUCTION OF RAJASTHAN

मेवाड़

मेवाड़ी तथा मेवाड़ शासकों का उदयपुर-भीलवाड़ा-चित्तौडगढ़ क्षेत्र ‘मेवाड़’ कहलाया।

बागड़

डूंगरपुर बाँसवाड़ा क्षेत्र में बागड़ी बोली के प्रचलन से इसे ‘बागड़’ का नाम दिया गया

मारवाड़

पश्चिमी राजस्थान की मारवाड़ी बोली के प्रचलन इसे ‘मारवाड़’ प्रदेश के नाम से पुकारा जाता है।

निःसन्देह उपर्युक्त नामकरण राज्य के भौगोलिक, ऐतिहासिक एवं समृद्ध सांस्कृतिक स्वरूप के परिचायक हैं।

प्रादेशिक नामकरण की श्रृंखला में नामों का समय- समय पर परिवर्तन भी होता रहा, है –

मध्य काल में यह सम्पूर्ण क्षेत्र छोटे छोटे राज्यों एवं ठिकानों में बँटा हुआ था, प्रत्येक राज्य का एक राजा अथवा महाराजा था, जो सम्पूर्ण प्रशासन को देखता था।

आपसी युद्ध एवं पड़ोसियों से युद्ध होना सामान्य था। मुगल शासकों का यहाँ पर्याप्त प्रभाव रहा, तत्पश्चात् ब्रिटिश काल में प्रत्येक रियासत पर एक पोलिटिकल एजेंट नियुक्त था।

यह इतिहास का विषय है, जिसके विस्तार की आवश्यकता यहाँ नहीं। यहाँ संकेत मात्र इसलिए किया गया है कि स्वतन्त्रता से पूर्व यह सम्पूर्ण क्षेत्र विभिन्न इकाइयों में विभक्त था।

GENERAL INTRODUCTION OF RAJASTHAN

राजपूताना

ब्रिटिश काल में यहाँ के मुख्य भाग को ‘राजपूताना’ के नाम से पुकारा जाने लगा था, किन्तु ‘राजस्थान’ शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग कर्नल टॉड ने अपनी पुस्तक “एनाल्स एण्ड एन्टीक्वीटीज ऑफ राजस्थान” (1829, लन्दन) में किया, जो कालान्तर में सामान्य हो गया और स्वतंत्र भारत के राज्य निर्माण के पश्चात् यही नाम स्वीकार किया गया।

स्वतंत्रता से पूर्व 23 जून, 1947 को ब्रिटिश संसद ने भारत स्वतंत्रता कानून पारित किया और इसी के अन्तर्गत देशी रियासतों को उनके महाराजाओं की इच्छा पर छोड़ दिया कि वे चाहे तो स्वतंत्र रहें अथवा किसी संघ (भारत या पाकिस्तान) में सम्मिलित हो जाएँ।

इससे स्थिति विकट हो गई और जब 15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ, तब इस क्षेत्र में 18 रजवाड़े तथा तीन रियासतें (लावा, कुशलगढ़ तथा नीमराना) थीं तथा अजमेर मेरवाड़ा केन्द्र शासित था।

इस विकट स्थिति से निपटने हेतु प्रयास प्रारम्भ हुए और तत्कालीन गृहमंत्री स्वर्गीय सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बड़ी दूरदर्शिता एवं कुशलता से इस कार्य को क्रमिक रूप से पूर्ण किया।

GENERAL INTRODUCTION OF RAJASTHAN

मत्स्य संघ

वर्तमान राजस्थान के निर्माण की प्रक्रिया का प्रारम्भ 17 मार्च, 1948 को मत्स्य संघ की स्थापना से हुआ, जिसमें अलवर, भरतपुर, धौलपुर एवं करौली रियासतें थीं।

पूर्व राजस्थान

25 मार्च, 1948 को बाँसवाड़ा, कुशलगढ़, बूँदी, डूंगरपुर, झालावाड़, कोटा, प्रतापगढ़, शाहपुरा और टोंक को मिलाकर अलग संघ बना, जिसे पूर्व राजस्थान कहा गया, इसकी राजधानी कोटा बनाई गई।

संयुक्त राजस्थान

पूर्व राजस्थान में उदयपुर रियासत 18 अप्रैल, 1948 को सम्मिलित हुई और इसे संयुक्त राजस्थान नाम दिया गया, जिसकी राजधानी उदयपुर थी।

बृहद् राजस्थान

संयुक्त राजस्थान में बीकानेर, जोधपुर, जयपुर और जैसलमेर रियासतें 30 मार्च, 1949 को सम्मिलित हुई। तब इसे बृहद् राजस्थान नाम दिया गया और जयपुर को राजधानी बनाया गया।

बृहद् संयुक्त राजस्थान

पुनर्गठन के अन्तिम चरण में ‘मत्स्य संघ’ भी ‘वृहद राजस्थान’ में 15 मई, 1949 को सम्मिलित हो गया।

राजस्थान

26 जनवरी 1950 को सिरोही रियासत भी इसमें सम्मिलित हो गई और वृहद संयुक्त राजस्थान के स्थान पर इसे राजस्थान नाम दिया गया।

GENERAL INTRODUCTION OF RAJASTHAN

पुनर्गठित राजस्थान

1, नवम्बर 1956 के राज्य पुनर्गठन अधिनियम में  राजस्थान में अजमेर, आबूरोड, सुनेल टप्पा (सिरोंज मध्यप्रदेश को दिया) अर्थात वर्तमान राजस्थान।

राजस्थान को पूर्ण राज्य का दर्जा एक नवम्बर, 1956 को दिया गया अर्थात् 1948 से प्रारम्भ हुई राज्य-निर्माण प्रक्रिया 1956 में पूर्ण हुई और वर्तमान राज्य अस्तित्व में आया।

उस समय राज्य को प्रशासनिक दृष्टि से 26 जिलों और 5 संभागों में विभक्त किया गया। सन् 1963 में संभाग समाप्त कर दिए गए और 26 जिले रखे गए।

9 अप्रैल, 1991 को तीन नए जिले- बारां (कोटा जिले से), राजसमंद (उदयपुर जिले से) तथा दौसा (जयपुर जिले से) बनाए गए।

इसके पश्चात् हनुमानगढ़ (गंगानगर जिले से) तथा करौली (सवाई माधोपुर जिले से) बनाए गए और प्रतापगढ़ जिला 26 जनवरी, 2008 को अस्तित्व में आया।

GENERAL INTRODUCTION OF RAJASTHAN

संभाग व्यवस्था जो पूर्व में समाप्त कर दी गई थी, पुनः 15 जनवरी, 1987 से प्रारम्भ की जा चुकी है, जिसके अन्तर्गत राज्य 7 संभागों में विभाजित हैं। जिनमें सम्मिलित जिले निम्न प्रकार हैं

जयपुर संभाग-जयपुर, दौसा, सीकर, अलवर एवं झुन्झुनूँ जिले।

जोधपुर संभाग-जोधपुर, जालौर, पाली, बाड़मेर, सिरोही एवं जैसलमेर जिले भरतपुर संभाग-भरतपुर, धौलपुर, करौली एवं सवाईमाधोपुर जिले

अजमेर संभाग-भीलवाड़ा, टोंक, नागौर एवं अजमेर जिले ।

कोटा संभाग-कोटा, बूँदी, बारां एवं झालावाड़ जिले ।

बीकानेर संभाग-बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़ एवं चूरू जिले।

उदयपुर संभाग-राजसमंद, उदयपुर, डूंगरपुर, बाँसवाड़ा, चित्तौड़गढ़ एवं प्रतापगढ़ जिले।

GENERAL INTRODUCTION OF RAJASTHAN

राजस्थान में वर्तमान में दस संभागों का विवरण

पिछले वर्ष 2023 में 19 नये जिले व 03 नये संभाग बनाये गये अभी वर्तमान स्थिति में राजस्थान में कुल 50 जिले व 10 संभाग हैं। जिनका विवरण निम्नानुसार है।

जयपुर संभाग

दूदू, बहरोड-कोटपूतली, दौसा, , जयपुर, जयपुर (ग्रामीण), खैरथल-तिजारा अलवर,।

भरतपुर संभाग

भरतपुर, धोलपुर, करोली, डींग, गंगापुरसिटी, सवाई माधोपुर।

जोधपुर संभाग

जोधपुर, जोधपुर (ग्रामीण), फलोदी, जैसलमेर, बाड़मेर, बालोतरा।

उदयपुर संभाग

उदयपुर, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, राजसमंद, सलुम्बर

अजमेर संभाग

अजमेर, ब्यावर, केकड़ी, टोंक, नागौर, डीडवाना-कुचामन, शाहपुरा

कोटा संभाग

कोटा, बून्दी, बारां, झालावाड़

बीकानेर संभाग

बीकानेर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, अनूपगढ़

सीकर (नया संभाग)

सीकर, झुन्झुनूं, नीम का थाना, चूरू

पाली (नया संभाग)

पाली, जालौर, सांचौर, सिरोही

बांसवाड़ा (नया संभाग)

बांसवाड़ा डूंगरपुर, प्रतापगढ़

राजस्थान की स्थिति एवं विस्तार

राजस्थान राज्य भारत के उत्तरी-पश्चिमी भाग में 23°3′ से 30°12′ उत्तरी अक्षांश से 69°30′ से 78°17′ पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है।

राजस्थान राज्य की सीमा

रेडक्लिफ सीमा

राज्य की पश्चिमी सीमा भारत- पाकिस्तान की अन्तरराष्ट्रीय सीमा है, जो 1,070 कि.मी. लम्बी है। इस सीमा को रेडक्लिफ अन्तरराष्ट्रीय सीमा कहा जाता है।

राज्य की उत्तरी और उत्तरी-पूर्वी सीमा पंजाब तथा हरियाणा से, पूर्वी सीमा उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश से, दक्षिणी-पूर्वी सीमा मध्य प्रदेश से तथा दक्षिणी और दक्षिणी-पश्चिमी सीमा क्रमशः मध्य प्रदेश तथा गुजरात से संयुक्त है।

कर्क रेखा

कर्क रेखा राज्य के दक्षिणी भाग से बाँसवाड़ा नगर के दक्षिण से गुजरती है।। डूंगरपूर जिले को स्पर्श (चिखली गांव के नजदीक से) करती है।

Read More

यह भी पढे़:- शिवाजी

यह भी पढे़:- राव चंद्रसेन

यह भी पढे़:- महाराणा सांगा

यह भी पढे़:- महाराणा कुम्भा

यह भी पढे़:- महाराणा प्रताप

यह भी पढे़:- हम्मीर देव चौहान (1282-1301 ई.)

GENERAL INTRODUCTION OF RAJASTHAN

यह भी पढे़:- बावड़ी

यह भी पढे़:- प्रकाश

यह भी पढे़:- पृष्ठ तनाव और श्यानता

यह भी पढे़:- सामान्य विज्ञान अध्ययन

यह भी पढे़:- ऊष्मा

यह भी पढे़:- उत्प्लावकता एवं आर्किमिडीज नियम

यह भी पढे़:- बल और गति

यह भी पढे़:- विद्युत का दैनिक जीवन में उपयोग

GENERAL INTRODUCTION OF RAJASTHAN

यह भी पढे़:- विद्युत चुम्बकीय प्रेरण

यह भी पढे़:- बिजली

यह भी पढे़:- मूल राशियाँ एवं मात्रक

यह भी पढे़:- नाडौल के चौहान

यह भी पढे़:- आमेर का कच्छवाहा राजवंश

यह भी पढे़:- भीनमाल (जालौर) के प्रतिहार

GENERAL INTRODUCTION OF RAJASTHAN

यह भी पढे़:- मण्डौर के प्रतिहार 

यह भी पढे़:- गुर्जर प्रतिहार वंश

यह भी पढे़:- अलवर की रियासत

यह भी पढे़:- भरतपुर राज्य का जाट वंश

यह भी पढे़:- राजस्थान में प्राचीन सभ्यताओं के पुरातात्विक स्थल

यह भी पढे़:- सिरोही के चौहान

GENERAL INTRODUCTION OF RAJASTHAN

यह भी पढे़:- रणथम्भौर के चौहान

यह भी पढे़:- पृथ्वीराज तृतीय (पृथ्वीराज चौहान)

यह भी पढे़:- राजस्थान में चौहानों का इतिहास

यह भी पढे़:- जालौर के चौहान

यह भी पढे़:- राजस्थान में चौहानों का इतिहास-2

यह भी पढे़:- बापा रावल

यह भी पढे़:- राजस्थान की प्राचीन सभ्यता के स्थल

यह भी पढे़:- हाड़ौती के चौहान

GENERAL INTRODUCTION OF RAJASTHAN

यह भी पढे़:- राजस्थान में संग्रहालय

यह भी पढे़:- राजस्थान के किले

यह भी पढे़:- बावड़ी झील एवं बाग

यह भी पढे़:- राजस्थान का सामान्य ज्ञान

यह भी पढे़:- राजस्थान का इतिहास

यह भी पढे़:- वैदिक साहित्य

यह भी पढे़:- सिन्धु घाटी सभ्यता

यह भी पढे़:- वैदिक सभ्यता

यह भी पढे़:- सिन्धु घाटी सभ्यता के प्रमुख पुरास्थल

यह भी पढे़:- भारत में नोबेल पुरस्कार विजेता

GENERAL INTRODUCTION OF RAJASTHAN

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *