आइये आज हम रणथम्भौर के चौहान (Chauhans of Ranthambore) वंश के बारें में अध्ययन करेंगे
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रणथम्भौर के चौहान वंश की स्थापना
रणथम्भौर के चौहान वंश की स्थापना पृथ्वीराज चौहान तृतीय के पुत्र गोविंदराज ने की थी।
कुतुबुद्दीन ऐबक ने गोविंदराज से अजमेर लेकर उसे रणथम्भौर का राज्य दिया था, गोविंदराज ने दिल्ली सल्तनत की अधीनता स्वीकार ली थी।
रणथम्भौर में चौहान वंश का संस्थापक गोविंदराज था ।
गोविन्द राज के बाद रणथम्भौर के चौहान वंश उत्तराधिकारी निम्नानुसार थे
वाल्हन(वल्लनदेव),
प्रल्हादन
वीरनारायण
वाग्भट्ट
जैत्रसिंह (जयसिम्भा)
वीर नारायण के समय दिल्ली सुल्तान इल्तुतमिश ने रणथम्भौर पर आक्रमण किया, जिसे वीर नारायण ने सफलतापूर्वक विफल कर दिया परन्तु सुल्तान ने उसका दिल्ली में वध करवा दिया।
वीरनारायण के उत्तराधिकारी वागभट्ट ने रणथम्भौर राज्य को बचाया दिल्ली सल्तनत से अपने राज्य की रक्षा की। वागभट्ट के पुत्र जैत्रसिंह(जयसिम्भा) ने नासिरुद्धीन महमूद द्वारा भेजी गई सेना का सफलतापूर्वक मुकाबला किया परन्तु कर देने के लिए बाध्य होना पड़ा ।
हम्मीर देव चौहान
हम्मीर देव चौहान जैत्र सिंह का पुत्र था जिसका राज्यरोहण सन 1288 ईसवी में हुआ था जो रणथम्भौर का सर्वोपरि शासक था हम्मीर की मृत्यु के बाद रणथम्भौर की चौहान शाखा समाप्त हो गयी।
हम्मीर देव चौहान जलालुद्दीन खिलजी व अलाउद्दीन खिलजी के समकालीन था
रणथम्भौर के चौहान (Chauhans of Ranthambore)
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