Chauhan dynasty in Rajasthan

राजस्थान में चौहानों का इतिहास

Chauhan dynasty in Rajasthan

राजस्थान के उत्तरी भाग में  सातवीं शताब्दी में चौहान राजपूत में बसे हुए थे और अपनी शक्ति बढ़ा रहे थे, ‘चहमान’ शब्द से  चौहानों का संबंध जयानक ने जोड़ा है, जो इनकी प्रारंभिक विशेष योग्यता का द्योतक हैं।कि चहमान नाम का इस वंश का कोई आदि पुरुष रहा होगा जिसने अपने भुजबल से एक नवीन राज्य की स्थापना की हो।प्रारम्भ में चौहान प्रतिहार वंश के शासकों के सामंत थे|

इतिहासकार चौहानों की उत्पत्ति के बारे में एक मत नहीं  हैं इस संबंध में इन सभी के विचार अलग-अलग हैं

विदेशी मत – विलियम क्रुक,डॉ वी. ए. स्मिथ एवं कर्नल जेम्स टॉड, |

सूर्यवंशी – हम्मीर रासो, सुर्जन चरित्र, चौहान प्रशस्ति, बेदला शिलालेख, हम्मीर महाकाव्य,  पृथ्वीराज विजय,  इतिहासकार गौरीशंकर हीराचंद ओझा भी इन्हें सूर्यवंशी मानते हैं।

इन्द्र के वंशज – रायपाल का सेवाडी अभिलेख।

अग्निकुण्ड- नैणसी एवं सूर्यमल्ल मिश्रण, पृथ्वीराज रासो(ऋषि वशिष्ठ द्वारा आबू पर्वत पर किए गए यज्ञ से उत्पन्न हुए चार राजपूत योद्धाओं-प्रतिहार, परमार, चालुक्य एवं चौहानों में से एक थे), ।

ब्राह्मणवंशी मत – कायम खां रासो, डॉ. दशरथ शर्मा, डॉ. गोपीनाथ शर्मा, बिजौलिया शिलालेख।

शाकम्भरी एवं अजमेर के चौहान

लाडनूं लेख, शब्दकल्पद्रुम कोप, पृथ्वीराज विजय,  आदि में चहमानों के निवास स्थान के संबंध में अहिच्छत्रपुर, जांगल देश, सपादलक्ष, आदि स्थानों का विशेष वर्णन मिलता है। इससे स्पष्ट है कि चहमान जांगल देश (उत्तरी मारवाड़, बीकानेर, और जयपुर) के रहने वाले थे और उनके राज्य का प्रमुख भाग सपादलक्ष (सांभर) था तथा उनकी राजधानी नागौर (अहिच्छत्रपुर) थी। अपने ग्रंथ ‘अर्ली चौहान डायनेस्टी’ में डॉ. दशरथ शर्मा इसी मत को प्रतिपादित करते हैं। सपादलक्ष (सांभर) के चौहान वंश की प्रमुख शाखाएं थी-

 लाट के चौहान

धवलपुरी के चौहान

प्रतापगढ़ के चौहान

शाकम्भरी के चौहान

रणस्तम्भपुर के चौहान

नाडौल के चौहान

जाबालिपुर के चौहान

सप्तपुर के चौहान

Chauhan dynasty in Rajasthan

वासुदेव चौहान

अर्ली चौहान डायनेस्टी, सुर्जन चरित्र, बिजौलिया शिलालेख हम्मीर महाकाव्य, प्रबंध कोष, आदि साक्ष्यों के अनुसार वासुदेव चौहान सपादलक्ष के चौहानों का संथापक (मूल) पुरुष था।

सांभर (सपादलक्ष) में वासुदेव चौहान सन  551 ई. के लगभग ‘ चौहान ‘ राज्य की स्थापना की तथा अहिच्छत्रपुर (नागौर) को राजधानी बनाया। बिजौलिया शिलालेख के अनुसार वह वत्स गोत्रीय ब्राह्मण था। वासुदेव चौहान ने सांभर झील का निर्माण करवाया। इस प्रकार वासुदेव चौहान, चौहानों का आदि पुरुष था।

प्रारम्भ में चौहान गुर्जर प्रतिहारों के सामंत थे परंतु गूवक प्रथम ने एक स्वतंत्र शासन स्थापित कर गुर्जरों की अधीनता अस्वीकार की। गूवक ने हर्षनाथ के मंदिर का निर्माण करवाया, जो चौहानों का इष्टदेव था। सिंहराज ने ‘महाराजाधिराज’ की उपाधि धारण की ।

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