ANCIENT COINS PREVALENT IN RAJASTHAN राजस्थान में प्रचलित प्राचीन सिक्के
ANCIENT COINS PREVALENT IN RAJASTHAN
Table of Contents
राजस्थान की रियासतों में प्रचलित प्रमुख सिक्के
सिक्के (मुद्रा)
राजस्थान के इतिहास लेखन में सिक्कों (मुद्राओं) से बड़ी सहायता मिलती है। ये सोने, चांदी, तांबे या मिश्रित धातुओं के होते थे।
सिक्के राजनीतिक (COINS POLITICAL), आर्थिक(ECONOMIC), सामाजिक, धार्मिक एवं भौतिक जीवन पर उल्लेखनीय प्रकाश डालते हैं।
सिक्के के प्राप्ति स्थलों (RECEIVING POINTS) से काफी सीमा तक राज्यों के विस्तार का ज्ञान होता है। सिक्कों के ढेर राजस्थान में काफी मात्रा में विभिन्न स्थानों पर मिले हैं।
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मालव सिक्के
1871 ई. में कार्लाइल को नगर (उणियारा) से लगभग 6000 मालव सिक्के मिले थे जिससे वहाँ मालवों के आधिपत्य तथा उनकी समृद्धि का पता चलता है।
पंचमार्क सिक्के
रैढ़ (टोंक) की खुदाई से वहाँ 3075 चाँदी के पंचमार्क सिक्के मिले। ये सिक्के भारत के प्राचीनतम सिक्के हैं। इन पर विशेष प्रकार का चिह्न टंकित है और कोई लेप नहीं है। ये सिक्के मौर्यकाल के थे।
गुप्तकालीन स्वर्ण सिक्के
1948 ई. में बयाना में 1921 गुप्तकालीन स्वर्ण सिक्के मिले हैं।
‘द करेंसीज आफ दि हिन्दू स्टेट्स ऑफ राजपूताना‘
तत्कालीन राजपूताना की रियासतों के सिक्कों के विषय पर वेब ने 1893 ई. में ‘द करेंसीज आफ दि हिन्दू स्टेट्स ऑफ राजपूताना’ (‘THE CURRENCY OF THE HINDU STATES OF RAJPUTANA’) नामक पुस्तक लिखी, जो आज भी अद्वितीय मानी जाती है।
राजपूताना के सिक्के
विद्वान पुरातत्ववेत्ता एवं मुद्राशास्त्री कनिंघम, रेपसन, रेऊ आदि के अध्ययन से राजपूताना के सिक्कों के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी मिलती है।
‘गधिया सिक्के
दसवीं, ग्यारहवीं शताब्दी में प्रचलित सिक्कों पर गधे के समान आकृति का अंकन मिलता है, इसलिए इन्हें ‘गधिया सिक्के’ कहा जाता है ।
इस प्रकार के सिक्के राजस्थान के कई हिस्सों से प्राप्त होते हैं । मेवाड़ में कुंभा के काल में सोने, चाँदी व ताँबे के गोल व चौकोर सिक्के प्रचलित थे ।
मुगलिया सिक्के
महाराणा अमरसिंह के समय में मुगलों के साथ संधि हो जाने के बाद यहाँ मुगलिया सिक्कों का चलन शुरू हो गया।
झाड़शाही सिक्के
मुगल शासकों के साथ अधिक मैत्रीपूर्ण संबंधों के कारण जयपुर के कछवाह शासकों को अपने राज्य में टकसाल खोलने की स्वीकृति अन्य राज्यों से पहले मिल गई थी।
यहाँ के सिक्कों को ‘झाड़शाही’ कहा जाता था ।
विजयशाही सिक्के
जोधपुर में विजयशाही सिक्कों का प्रचलन हुआ।
आलमशाही सिक्के
बीकानेर में ‘आलमशाही’ नामक मुगलिया सिक्कों का काफी प्रचलन हुआ।
कलदार रुपये
ब्रिटिश सत्ता की स्थापना के बाद कलदार रुपये का प्रचलन हुआ और धीरे- धीरे राजपूत राज्यों में ढलने वाले सिक्कों का प्रचलन बंद हो गया ।
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